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Q&A
10:25 AM | 23-09-2019

What are the exercises or yoga to do in heart diseases?


The answers posted here are for educational purposes only. They cannot be considered as replacement for a medical 'advice’ or ‘prescription’. ...The question asked by users depict their general situation, illness, or symptoms, but do not contain enough facts to depict their complete medical background. Accordingly, the answers provide general guidance only. They are not to be interpreted as diagnosis of health issues or specific treatment recommendations. Any specific changes by users, in medication, food & lifestyle, must be done through a real-life personal consultation with a licensed health practitioner. The views expressed by the users here are their personal views and Wellcure claims no responsibility for them.

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3 Answers

06:56 PM | 23-09-2019

Hi there, 

Exercise and yoga plays a very important role in maintaining a healthy heart and it's functions. Daily asana practice can increase blood circulation and decrease levels of cortisol thereby reducing stress and anxiety which are one of the major factors responsible for many heart diseases .

Following are the yogasanas and exercises you can practise daily so as to maintain a healthy heart;

• Start your day with a morning walk, jogging or brisk walking.

• Practice asanas such as Ustrasana ( camel pose ), bhujangasanaaaa ( cobra pose ), setu bandha savangasana (bridge pose), janu sirsasana ( head to knee forward bend ) tadasana, suryanamaskara( avoid dynamic) all these asanas are good practise for maintaining a healthy heart functions.

• Maintaining or practising a Meditative postures such as sukhasana or padmasana itself boost your heart function. 

• Every other pranayama can be practiced but kapalabhati and bhastrika are strictly contraindicated if you have any heart disease. 



06:56 PM | 23-09-2019

नमस्ते,

अनियमित दिनचर्या व गलत खानपान की आदतों की वजह से रक्त अम्लीय हो जाता है, शरीर की रक्त वाहिनीयां कठोर हो जाती हैं जिससे कई प्रकार केेे ह्रृदय रोग प्रारंभ हो जाते हैं।

  • नींद -प्रतिदिन रात्रि में 7 से 8 घंटे का नींद अवश्य ले इससे शरीर की अशुद्धियां बाहर निकलती है, शरीर को आराम मिलता है !
  • प्रतिदिन प्रातः 7:00 से 9:00 के बीच मौसमी फल या हरी पत्तेदार सब्जी के जूस का प्रयोग करें।
  •  भोजन में 80% मौसमी फल व हरी पत्तेदार सब्जियों का प्रयोग करें इससे रक्त की क्षारीयता बनी रहती है, रक्त वाहिनीयों में कठोरता नहीं आती ।
  • प्रतिदिन 3 से 4 लीटर जल अवश्य सेवन करें।
  •  उपवास -(सप्ताह में एक दिन) शरीर के समस्त अंगों से अशुद्धियां बाहर निकलती हैं ,उनकी कार्यक्षमता बढ़ती है।
  • क्रिया जलनेति -नाक व साइनस में स्थित श्लेष्मा को बाहर निकालती है जिससे श्वास का आदान-प्रदान आसानी से होता है।
  •  प्राणायाम- शीतली ,सित्कारी, भ्रामरी शरीर को शीतलता उत्पन्न करती है ,मन शांत होता है ।

आसन -

  • वज्रासन -पाचन तंत्र के कार्य क्षमता को बढ़ाता है जिससे पेट की अम्लता कम होती है।
  • गोमुखासन-सीने सीने को फैलाता है वैसे ही दे अपना कार्य आसानी से करता है!
  • शवासन-संपूर्ण शरीर को तनाव मुक्त करता है!

निषेध- चाय, चावल, चीनी ,अचार, मिठाइयां ,नमक -नमकीन, ठंडे पेय पदार्थ, रात्रि जागरण ,सोने से 2 घंटे पहले मोबाइल, टेलीविजन, कंप्यूटर का प्रयोग, मैदे की बनी चीजें, दूध की बनी उत्पाद ,वसायुक्त चीजें।

 

नोट- समस्त योग व नेचुरोपैथी उपचार कुशल योग एवं नेचुरोपैथी  फिजीशियन के निर्देशन में ही ले ।

 

डॉ. राजेश कुमार 

योग व नेचुरोपैथी फिजीशियन



05:21 PM | 24-09-2019

सौरव जी,

कारण - शरीर में ठीक प्रकार से ऑक्सिजन संचार (circulate) नहीं हो पाता है। रक्त के संचार में अवरोध होता है क्योंकि Cholesterol का बढ़ना, HDL कम होना या उच्च Triglycerides के वजह ग़लत खान पान से ये बीमारी होता है। हाज़मा और क़ब्ज़ इसका मूलकारण है। आहार शुद्धि के साथ साथ आसन प्राणायाम करें।

समाधान - दिल के बीमारी में सूर्य नमस्कार 5 बार करें। ताड़ासन, काटिचक्र आसन, अनुलोम विलोम करें। फल, कच्चे सब्ज़ी का जूस और सलाद मुख्य भोजन हो। नमक की मात्रा कम लें। तेल मसालों का सेवन वर्जित है।

जीवन शैली - आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी ये पाँच तत्व आपके शरीर में रोज़ खुराक की तरह जाना चाहिए। पृथ्वी और शरीर का बनावट एक जैसा 70% पानी से भरा हुआ। पानी जो कि फल, सब्ज़ी से मिलता है।

1 आकाश तत्व- एक खाने से दूसरे खाने के बीच में विराम दें। रोज़ाना 15 घंटे का उपवास करें जैसे रात का भोजन 7 बजे तक कर लिया और सुबह का नाश्ता 9 बजे लें।

2 वायु तत्व- लंबा गहरा स्वाँस अंदर भरें और रुकें फिर पूरे तरीक़े से स्वाँस को ख़ाली करें रुकें फिर स्वाँस अंदर भरें ये एक चक्र हुआ। ऐसे 10 चक्र एक टाइम पर करना है। ये दिन में चार बार करें।I

दौड़ लगाएँ। सूर्य नमस्कार 5 बार करें।

3 अग्नि तत्व- सूरर्य उदय के एक घंटे बाद या सूर्य अस्त के एक घंटे पहले का धूप शरीर को ज़रूर लगाएँ। सर और आँख को किसी सूती कपड़े से ढक कर। जब भी लेंटे अपना दायाँ भाग ऊपर करके लेटें ताकि आपकी सूर्य नाड़ी सक्रिय रहे।

4 जल तत्व- खाना खाने से एक घंटे पहले नाभि के ऊपर गीला सूती कपड़ा लपेट कर रखें और खाना के 2 घंटे बाद भी ऐसा करना है।

नीम के पत्ते का पेस्ट अपने नाभि पर रखें। 20मिनट तक रख कर साफ़ कर लें।

मेरुदंड स्नान के लिए अगर टब ना हो तो एक मोटा तौलिया गीला कर लें बिना निचोरे उसको बिछा लें और अपने मेरुदंड को उस स्थान पर रखें।

खाना खाने से एक घंटे पहले नाभि के ऊपर गीला सूती कपड़ा लपेट कर रखें या खाना के 2 घंटे बाद भी ऐसा कर सकते हैं।

मेरुदंड (स्पाइन) सीधा करके बैठें। हमेशा इस बात ध्यान रखें और हफ़्ते में 3 दिन मेरुदंड का स्नान करें।

पेट पर खीरा का पेस्ट 20 मिनट लगाएँ। फिर साफ़ कर लें। पैरों को 20 मिनट के लिए सादे पानी से भरे किसी बाल्टी या टब में डूबो कर रखें।

5. पृथ्वी तत्व- कच्चे सब्ज़ी का जूस आपका मुख्य भोजन है।  सुबह ख़ाली पेट इनमे से कोई भी हरा जूस लें।पेठे (ashguard ) का जूस लें और  नारियल पानी भी ले सकते हैं। बेल का पत्ता 8 से 10 पीस कर 100ml पानी में मिला कर छान कर पीएँ। खीरा 1/2 भाग + धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ।

ये जूस सुबह नाश्ते से एक घंटे पहले लें। नाश्ते में फल लें। दोपहर के खाने से एक घंटा पहले हरा जूस लें। खाने में सलाद नमक सेंधा ही प्रयोग करें। नमक की पके हुए खाने में भी बहुत कम लें। सब्ज़ी पकने बाद उसमें नमक डालें। नमक पका कर या अधिक खाने से शरीर में (fluid)  की कमी हो जाती।

सलाद दोपहर 1बजे बिना नमक के खाएँ तो अच्छा होगा क्योंकि नमक सलाद के गुणों को कम कर देता है। सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें और नारियल पीस कर मिलाएँ। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ashgurad) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम डालें।कद्दूकस करके डालें।कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ। लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी लें।

रात के खाने में इस अनुपात से खाना खाएँ 2 कटोरी सब्ज़ी के साथ 1कटोरी चावल या 1रोटी लें। रात 8 बजे के बाद कुछ ना खाएँ, 12 घंटे का (gap) अंतराल रखें। 8बजे रात से 8 बजे सुबह तक कुछ नहीं खाना है।

एक नियम हमेशा याद रखें ठोस(solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल  को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें।ठोस  भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ  ले सकते हैं।

जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन वर्जित हैं।

तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। चीनी के जगह गुड़ लें।

हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी और रात 8 बजे सलाद लें।

धन्यवाद।

रूबी

प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका  मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)


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