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Q&A
05:15 PM | 20-01-2020

I am diabetic as well as have high blood pressure. My age is 35 and from few months I am facing problem of premature ejaculation. What can I do?


The answers posted here are for educational purposes only. They cannot be considered as replacement for a medical 'advice’ or ‘prescription’. ...The question asked by users depict their general situation, illness, or symptoms, but do not contain enough facts to depict their complete medical background. Accordingly, the answers provide general guidance only. They are not to be interpreted as diagnosis of health issues or specific treatment recommendations. Any specific changes by users, in medication, food & lifestyle, must be done through a real-life personal consultation with a licensed health practitioner. The views expressed by the users here are their personal views and Wellcure claims no responsibility for them.

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3 Answers

05:19 PM | 22-01-2020

Hi Ashish

All these issues indicate an aberration from the body’s state of balance called homeostasis. When the body is in balance, it can perform all its functions perfectly & there is no disease or discomfort. A natural lifestyle will help you in getting your body back to its state of balance.

We would like to guide you to a few resources - 

  1. Read these blogs - Blood pressure - from nature’s perspectiveA complete guide to cure diabetes: Part 1 Lifestyle Changes.

  2. Real-life natural healing stories of people who normalised their BP and diabetes by simply adhering to natural laws. 

We suggest you take a personal consultation with our Natural Health Coach who can look into your routine in a more comprehensive way and give you an action plan. We will guide you on diet, sleep, exercise, stress to correct your existing routine & make it in line with Natural Laws. You can explore our Nature-Nurtures Program for the same. Let us know if you are interested. 

All the best.

Regds
Team Wellcure



10:42 AM | 23-01-2020

Dear health seeker, Ashish, 
Please understand that be it diabetes or and blood pressure are the names of dis-ease symptoms and not disease. In fact, there is no disease only lower level of health, diminished state of health and the endeavour of natural cure is to normalize the condition within the body by the observance of hygienic lifestyle based on eternal laws of nature governing our organism....

Diabetes is the mother of all disease, and India is a world capital of this dreaded disease, not for nothing, our eating habits  combined with our socialistic obligations of treating our guests with tea, coffee and snacks at any time contribute largely towards its vast clientele

Diabetes is confessedly not cured by allopathy. To manage the situation, they supply insulin from an external source-- an animal product -- in a state where the pancreas fail to secrete it. In this case they are at a loss not to pin it down on some bacilli, bacteria, germ etc. Nor do they care to study the cause and remove it. In general, the causes of this can be any or a group of the following;-

       1. The pancreas has been so much overworked, that it has struck work.

      2. The basic material out of which the pancreas can produce insulin is not available in the body tissues and fluids-

     3. That centre in the brain that  controls the activities of the pancreas is damaged either owing to degeneration or trauma [ injury]

Whatever be the case, our universal Medicine may be either Bilva Patra  [leaves] or grass. A regular daily intake of any of these or alternatively, the trouble has been totally relieved. 

Every grain  [whole] contains insulin in its germ [germ], but it is lost to the modern eater.  In Polished rice, atta this valuable part is lost, secondly, it is lost in cooking, even if it be the whole grain because it is destroyed at a temp. of 50 DEG, C  and 55 deg c and cooking, the simplest boiling, it is at a temp. of 100 deg c Other methods of cooking subject the food to a higher temp. and obviously that natural source of insulin is unavailable to the eater. To rule out any shortfall, coarse grains millets, ragi,jowar, oats may be taken in very small amounts along with 80 % vegetables raw and cooked, without oil spices and condiments as per law of Vital Economy

    Combined with other Nature Cure tenets like brisk walking, sunbathing, spinal baths, non-violent pranayama, the disease of diabetes and blood pressure etc. are radically curable in quick little time, but faith, fearlessness and Grace of God is an integral part. In this way of life all diseases, multiple diseases are not only cured by the roots but the patient enjoys the health level as never before, Thousands of patients cured by natural hygiene are a living testimony to it, the journeys of many individuals can be gone through on this Wellcure site. Be healthy by living healthily. 

Be well that you may be good  be good that you may be well 

Be healthy and happy 

   V.S.Pawar    Member Indian institute of natural therapeutics   1980

Plpl
 



02:21 PM | 22-01-2020

हेलो,

कारण -शुगर कोई बीमारी नहीं है। ख़राब हाज़मा और ग़लत खान पान के वजह से शरीर इस रूप में प्रतिक्रिया कर रहा है।

रक्त के गाढ़ा होने से उच्चरक्त चाप की समस्या होती है। शरीर में अम्ल की मात्रा अधिक होने से मिनरल की कमी हो जाती है। इसके कारण रक्त में अशुद्धि आती है। मुलकारण ख़राब हाज़मा है। ख़राब हाज़मा का सूचक है शुगर और उच्च रक्तचाप। इन्हें दबाने के लिए जो दवाइयाँ ली है वह शरीर के संकुचन तंत्र को कमज़ोर कर रहा है। इसीलिए शीघ्रपतन की समस्या हो रही है। आहार शुद्धि से हाज़मा ठीक होगा तो ये सारी समस्याओं का निदान होगा।

समाधान - 

mud pack पेट पर 20 मिनट के लिए लगाएँ। या 

खीरा और नीम के पत्ते का पेस्ट पेट पर 20 मिनट के लिए रखें।

एक टब में पानी भर कर उसमें नीम के पत्ते पीस कर 200 ml पानी मिला कर छान लें।

इस टब प्रतिदिन 20 मिनट के लिए बैठें।

लंबा गहरा स्वाँस अंदर भरें और रुकें। इसके बाद फिर पूरे तरीक़े से स्वाँस को ख़ाली करें, रुकें, फिर स्वाँस अंदर भरें। ये एक चक्र हुआ। ऐसे 10 चक्र एक समय पर करना है। ये दिन में चार बार करें। खुली हवा में बैठें या टहलें।

शारीरिक और मानसिक क्रिया में संतुलन बनाए। दौड़ लगाएँ।उज्जायी प्राणायाम करें।सुप्त मत्स्येन्द्रासन, धनुरासन, पवनमुक्तआसन

पश्चिमोत्तानासन करें।

मेरुदंड स्नान के लिए अगर टब ना हो तो एक मोटा तौलिया गीला कर लें बिना निचोरे उसको बिछा लें और अपने मेरुदंड को उस स्थान पर रखें।

मेरुदंड (स्पाइन) सीधा करके बैठें। हमेशा इस बात ध्यान रखें।

जीवन शैली-  1आकाश तत्व - एक खाने से दुसरे खाने के बीच में अंतराल (gap) रखें।

फल के बाद 3 घंटे, सलाद के बाद 5 घंटे, और पके हुए खाने के बाद 12 घंटे का (gap) रखें।

2.वायु तत्व - प्राणायाम करें, आसन करें। दौड़ लगाएँ।

3.अग्नि - सूर्य की रोशनी लें।

4.जल - अलग अलग तरीक़े का स्नान करें। मेरुदंड स्नान, हिप बाथ, गीले कपड़े की पट्टी से पेट की गले और सर की 20 मिनट के लिए सेक लगाए। 

स्पर्श थरेपी करें। मालिश के ज़रिए भी कर सकते है। नारियल तेल से

घड़ी की सीधी दिशा (clockwise) में और घड़ी की उलटी दिशा (anti clockwise)में मालिश करें। नरम हाथों से बिल्कुल भी प्रेशर नहीं दें।

5.पृथ्वी - सुबह खीरा 1/2 भाग + धनिया पत्ती (10 ग्राम) पीस लें, 100 ml पानी मिला कर पीएँ। यह juice आप कई प्रकार के ले सकते हैं। पेठे (ashguard ) का जूस लें और कुछ नहीं लेना है। नारियल पानी भी ले सकते हैं। पालक  पत्ते धो कर पीस कर 100ml पानी डाल पीएँ। दुब घास 25 ग्राम पीस कर छान कर 100 ml पानी में मिला कर पीएँ। कच्चे सब्ज़ी का जूस आपका मुख्य भोजन है। 2 घंटे बाद फल नाश्ते में लेना है। 

फल को चबा कर खाएँ। इसका juice ना लें। फल + सूखे फल नाश्ते में लें।

दोपहर के खाने में सलाद + नट्स और अंकुरित अनाज के साथ  सलाद में हरे पत्तेदार सब्ज़ी को डालें और नारियल पीस कर मिलाएँ। कच्चा पपीता 50 ग्राम कद्दूकस करके डालें। कभी सीताफल ( yellow pumpkin)50 ग्राम ऐसे ही डालें। कभी सफ़ेद पेठा (ashgurd) 30 ग्राम कद्दूकस करके डालें। ऐसे ही ज़ूकीनी 50 ग्राम डालें।कद्दूकस करके डालें।कभी काजू बादाम अखरोट मूँगफली भिगोए हुए पीस कर मिलाएँ। 

लाल, हरा, पीला शिमला मिर्च 1/4 हिस्सा हर एक का मिलाएँ। लें। बिना नींबू और नमक के लें। स्वाद के लिए नारियल और herbs मिलाएँ।

रात के खाने में इस अनुपात से खाना खाएँ 2 कटोरी सब्ज़ी के साथ 1कटोरी चावल या 1रोटी लेएक बार पका हुआ खाना रात को 7 बजे से पहले लें।

6.सेंधा नमक केवल एक बार पके हुए खाने में लें। जानवरों से उपलब्ध होने वाले भोजन वर्जित हैं।

तेल, मसाला, और गेहूँ से परहेज़ करेंगे तो अच्छा होगा। चीनी के जगह गुड़ लें।

7.एक नियम हमेशा याद रखें ठोस(solid) खाने को चबा कर तरल (liquid) बना कर खाएँ। तरल  को मुँह में घूँट घूँट पीएँ। खाना ज़मीन पर बैठ कर खाएँ। खाते वक़्त ना तो बात करें और ना ही TV और mobile को देखें।ठोस  भोजन के तुरंत बाद या बीच बीच में जूस या पानी ना लें। भोजन हो जाने के एक घंटे बाद तरल पदार्थ  ले सकते हैं।

हफ़्ते में एक दिन उपवास करें। शाम तक केवल पानी लें, प्यास लगे तो ही पीएँ। शाम 5 बजे नारियल पानी और रात 8 बजे सलाद लें।

8.उपवास के अगले दिन किसी प्राकृतिक चिकित्सक के देख रेख में टोना लें। जिससे आँत की प्रदाह को शांत किया जा सके। एनिमा किट मँगा लें। यह किट ऑनलाइन मिल जाएगा। इससे 200ml पानी गुदाद्वार से अंदर डालें और प्रेशर आने पर मल त्याग करें। ऐसा दिन में दो बार करना है अगले 21 दिनों के लिए। ये करना है ताकि शरीर में मोजुद विषाणु निष्कासित हो जाये। इसके बाद हफ़्ते में केवल एक बार लेना है उपवास के अगले दिन। टोना का फ़ायदा तभी होगा जब आहार शुद्धि करेंगे।

धन्यवाद।

रूबी, 

प्राकृतिक जीवनशैली प्रशिक्षिका व मार्गदर्शिका (Nature Cure Guide & Educator)


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